भक्ति - मन्त्र- आधुनिक योगि नोट्स

Yoga NET Notes

गुरु गोरक्षानाथ की परंपरा

गुरु मत्स्येन्द्रनाथ

काल - 10वी 14वी शताब्दी के बीच

      गोरक्षानाथ की पुस्तक सूची

o  हठयोग

o  गोरक्ष शतक/संहिता

o  गोरक्षकल्प

o  गोरक्षसहस्रनाम

o  ज्ञानामृत

o  सिद्ध-सिद्धान्त पद्धति

-          चतुरशीति आसन

-          योग सिद्धान्त

-          योग चिन्तामणि

-          योग महिमा

-          योगमार्तण्ड

-          विवेकमार्तण्ड

-          योग सिद्धान्त पद्धति ... इत्यादि

 

      परम्परा मत्स्येन्द्रनाथ गोरक्षानाथ गहिनीनाथ जालन्धरनाथ कृष्णपादनाथ भर्तृहरिनाथ रेवणनाथ नागनाथ चर्पटनाथ

o  2 मुख्य शिष्य गहिनी नाथ , चर्पट नाथ

      गोरक्षानाथ का नाम सर्वप्रथम ज्ञानेश्वर द्वारा रचित अमृतानुभव में सर्वप्रथम दिया है।

      नाथ संप्रदाय में योग की परिभाषा

o  रज और वीर्य

o  चन्द्र और सूर्य

o  प्राण और अपान

o  शिव और शक्ति

o  जीवात्मा और परमात्मा इन के संयोग

 


 

भक्ति योग

नारद भक्ति सूत्र

      कुल 84 सूत्र

      5 अध्याय

1.      परभक्तिस्वरूपम्

2.      परभक्तिमहत्वम्

3.      भक्तिसाधनानि

4.      प्रेमनिर्वचनम्

5.      मुख्यभक्तिमहिमा

      भक्ति परमप्रेमरूप और अमृतस्वरूप

  अथातो भक्तिं व्याख्यास्यामः। 1.1

  सा त्वस्मिन् परमप्रेमरूपा। 1.2

  अमृतस्वरूपा च। 1.3

      पाराशर्य पूजादिष्वनुराग इति पाराशर्यः । 1.16

      गर्ग कथादिष्विति गर्गः। 1.17

      शाण्डिल्यः - आत्मरत्यविरोधेनेति शाण्डिल्यः। 1.18

      नारदः - नारदस्तु तदर्पित-अखिलाचारता तद्विस्मरणे परमव्याकलतेति। 1.19

      प्रेम का स्वरूप अनिर्वचनीयं प्रेमस्वरूपम्। 4-1

      11 प्रकार का प्रेम 5.16


1.      गुणमाहात्म्य आसक्ति

2.      पूजा आसक्ति

3.      स्मरण आसक्ति

4.      रूप आसक्ति

5.      दास्य आसक्ति

6.      सख्य आसक्ति

7.      वात्सल्य आसक्ति

8.      कान्ता आसक्ति

9.      आत्मनिवेदन आसक्ति

10.  तन्मयता आसक्ति

11.  परमविरह आसक्ति


 

सामान्य ज्ञान

      शाण्डिल्य भक्ति सूत्र परा अनुरक्ति ईश्वरे

      गीता के अनुसार 4 प्रकार के भक्त


1.      आर्त

2.      जिज्ञासु

3.      अर्थार्थी

4.      ज्ञानी


o  चतुर्विधा भजन्ते मां जनाः सुकृतिनोऽर्जुन
आर्तो जिज्ञासुरर्थार्थी ज्ञानीभरतर्षभ ॥ ७-१६॥

 

      भागवत पुराण के अनुसार 9 प्रकार की भक्ति


1.      श्रवण

2.      कीर्तन

3.      स्मरण

4.      पादसेवन

5.      अर्चना

6.      वन्दना

7.      दास्य

8.      सख्य

9.      आत्मनिवेदन


      9 भक्ति के बाद रागात्मिका भक्ति आती है, उसके बाद पराभक्ति (Highest Level) आती है, जहॉ ब्रह्म साक्षात्कार होता है।

 

कबीर

  समय 14वीं 15वीं शताब्दी

  स्थान काशी

  गुरु रामानन्द को गुरु मनाना चाहते थे। उन्होंने मना करदिया।

  राम के भक्त, निर्गुण उपासक थे।

  मूर्ति पूजा के विरोधी थे।

  कबीर की भाषा सुधक्कडी और पंचमेल खिचडी

  वाणियों के संग्रह को बीजक कहते है।

  इसके 3 भाग है।

1.      साखी (साक्षी)

2.      सबद (गेय/पद्य)

3.      रसैनी (चौपाई छन्द)

 

तुलसीदास

      समय 1511 1623 ई.

      जन्मस्थान चित्रकूट (उ.प्र)

      गुरु - नरहरिदास

      महर्षि वाल्मीकि का अवतार मानते है।

      रामचरितमानस लिखा है। सबसे लोकप्रिय काव्य 46th Rank in the world

      पुस्तक -

  सत सई

  हनुमान चालीसा

  संकट मोचन

  रामललन दहु

      राम के सगुण उपासक थे।

 

सूरदास

      जन्म 1478 ई

      स्थान मथुरा (उ.प्र)

      व्रजभाषा के श्रेष्ठ कवि

      कृष्ण भक्त

      गुरु वल्लभाचार्य

      रचनाएँ

o  सूर सागर (सवालाख प्रत्यय)

o  सूर सारावली

o  साहित्य लहर

o  नलदमयन्ती

o  व्याहलो

 

      भक्ति योग के अन्य संत -


o  रामानुज

o  निम्बार्काचार्य

o  वल्लभाचार्य

o  माधवाचार्य

o  रामानन्द

o  चैतन्य

o  गुरुनानक

o  दादू दयाल

o  मीराबाई

o  मालुकदास

o  सुंदरदास

o  वीरभान


 

मन्त्र योग

      वह शक्ति जो मन को बंधन से मुक्त कर दे वही मंत्र योग है, अर्थात् मन का लय होना।

      मन्त्रजपनात् मनो लयो मन्त्रयोगः।

      मननात् तारयेत् यस्तु स मन्त्रः परिकीर्तितः।

      कुछ विद्वान् मानते है कि विद्युत् मन्त्र का स्वरूप है।

      मन्त्र जप के प्रकार (14)


1.      नित्य जप

2.      नैमित्तिक जप

3.      काम्य जप

4.      निषिद्ध जप

5.      प्रायश्चित्त जप

6.      अचल जप

7.      चल जप

8.      वाचिक जप

9.      मानस जप

10.  अखण्ड जप

11.  अजपाजप

12.  उपांशु जप

13.  भ्रमर जप

14.  प्रदक्षिणा जप


 

      3 प्रकार के श्रेष्ठ जप

1.      वाचिक जप

2.      उपांशु जप

3.      मानसिक जप

      मनुस्मृति

o  यज्ञ का 10x वाचिक जप

o  यज्ञ का 100x उपांशु जप

o  यज्ञ का 1000x मानस जप

 

ज्ञान योग

      ज्ञानान्मुक्तिः सांख्य

      ज्ञानस्यैव पराकाष्ठा वैराग्यम् योग

      ज्ञानयोग

o  बहिरङ्ग

  साधन चतुष्टय नित्यानित्यवस्तुविवेकेहामुत्रार्थफलभोगविरागशमादिषट्कसम्पत्तिमुमुक्षुत्वानि
(विवेक-वैराग्य-षट्कसंपत्ति-मुमुक्षूत्व)

o  अन्तरङ्ग

  श्रवण

  मनन

  निदिध्यासन (15)


1.      यम

2.      नियम

3.      त्याग

4.      मौन

5.      देश

6.      काल

7.      आसन

8.      मूलबन्ध

9.      देहस्थिति

10.  दृक् स्थिति

11.  प्राणायाम

12.  प्रत्याहार

13.  धारणा

14.  ध्यान

15.  समाधि


  साक्षात्कार

 

सामान्य ज्ञान

      रामायण 7 काण्ड

o  अरण्यकाण्ड 75 सर्ग

 

      महाभारत शान्ति पर्व

1.      राजधर्म

2.      आपद्धर्म

3.      मोक्षधर्म

      पराशर गीता

      हंस गीता

 


 

याज्ञवल्क्य स्मृति मे योग

      3 अध्याय

o  आचार-विचार

o  व्यावहाराध्याय

o  प्रायश्चित्ताध्याय

      ज्ञान प्राप्ति अन्तःकरण शुद्धि

      आत्म प्राप्ति का उपाय ध्यान योग

      आधि-व्याधि की चर्चा

      प्राण के 10 स्थान


1.      नाभि

2.      ओज

3.      गुदा

4.      शुक्र

5.      शोणित (रक्त)

6.      शंख (लघु, गुरु)

7.      मस्तक

8.      कण्ठ

9.      कंधा

10.  हृदय


      शिरा और धमनिया 29lac 956

      बाल (केश) 3 लाख

      भोजन से रस आदि का परिमाण


o  जल 10 अंजलि

o  रस 9 अंजलि

o  रक्त 8 अंजलि

o  पुरीष 7 अंजलि

o  कफ 6 अंजलि

o  पित्त 5 अंजलि

o  मूत्र 4 अंजलि

o  वसा 3 अंजलि

o  मेद 2 अंजलि

o  मज्जा 1 अंजलि

o  वीर्य अंजलि

o  मस्तक का कफ (CNF) अंजलि


      नाडिया 72000

o  हित - शुद्ध

o  अहित जिस मे मल है

      आत्मयोग की प्रवृत्ति (3)

o  सत्त्व शुद्धि के योग से

o  पुरीक्षय (कर्म के नाश से)

o  सत्व पुरुष के संग से

      क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ

o  क्षेत्र - प्रकृति

o  क्षेत्रज्ञ अनिर्वचनीय परमात्मा

      प्रकृति का उत्पन्न

o  अव्यक्त महत् अहंकार तन्मात्राए महाभूत गुण

      आत्मज्ञान के कारण (8)


1.      वेदपाठ

2.      यज्ञ

3.      ब्रह्मचर्य

4.      तप

5.      दम

6.      श्रद्धा

7.      उपवास

8.      स्वतंत्रता


      ध्यान की प्रक्रिया

o  पद्मासन प्रत्याहार प्राणायाम प्रभु का ध्यान

      योग सिद्धि के 7 लक्षण


1.      अन्तर्धान

2.      स्मृति

3.      कान्ति

4.      दूरदृष्टि

5.      श्रोत्रज्ञता

6.      परकाय प्रवेश

7.      अपने इच्छानुसार पदार्थ की रचना


o  सिद्धि होने पर योगी शरीरत्याग मोक्ष पाता है।

      यम और नियम

o  यम


1.      ब्रह्मचर्य

2.      दया

3.      क्षमा

4.      दान

5.      सत्यता

6.      अकुटिलता (सरलता)

7.      अहिंसा

8.      अस्तेय

9.      मधुरस्वभाव

10.  दम


o  नियम


1.      स्नान

2.      मौन

3.      उपवास

4.      इज्या (यज्ञ)

5.      स्वाध्याय

6.      उपस्थ-निग्रह (इन्द्रियों का नियंत्रण)

7.      गुरुसेवा

8.      शौच

9.      अक्रोध

10.  अप्रमाद


 

लाहिड़ी महाशय

      समय 30 सेप्टेंबर 1828 26 सेप्टेंबर 1895

      स्थान बंगाल

      गुरु महावतार बाबाजी (योगिराज, काशी बाबा)

      क्रीया योग का उपदेश दिया

      लाहिड़ी के शिष्य युक्तेश्वर जी, इनके शिष्य परमहंस योगानन्द (Autobiography of a Yogi)

      अन्य शिष्य


o  पंचानन भट्टाचार्य

o  प्रणवानन्द

o  केशवानन्द ब्रह्मचारी

o  वरदाचरण

o  रामदयाल मजूमदार


 

T Krishnamacharya

      10 November 1888 28th Feb 1989

      Place: Mysore, Karnataka

      BKS Iyengar s Brother in Law

      Guru: Yogeshwar Ramamohana Brahmachari

      Father of Modern Yoga

      Started Vinyasa Yoga

      4 famous books:

1.      योग मकरन्द

2.      योग रहस्य

3.      योगासनगळु

4.      योगावली

      शिष्य

1.      Indira Devi (1st female Hatha Yoga teacher)

2.      K Pattabhi Jois

3.      BNS Iyengar

4.      TKV Desikachar

5.      Srivatsa Ramaswami

6.      G Krishna Mohan

7.      Dilip Ji Maharaj

 

Swami Shivananda Saraswati

(Kuppuswami)

      8 September 1887 14 July 1963

      Pattamadai, Tamil Nadu

      Founded

o  Divine Life Society

o  Yoga Vedanta Forest Academy

      Guru: Vishwananda Saraswathi

      Disciples:

o  Chinmayananda Saraswati (Chinmaya Mission)

o  Omkarananda Saraswati

o  Satyananda Saraswati (Bihar School of Yoga)

o  Vishnu Devananda Saraswati (Shivananda Yoga Foundation)

o  Sahajananda Saraswati

o  Satchidananda Saraswati [Satchidananda Ashram, Integral Yoga (USA)]

o  Jyotirmayananda Saraswati

 

Swami Rama

      1925 1996

      1st yogi to be researched upon by western scientists. He could stop is heartbeat voluntarily.

      Designated as Shankaracharya from 1949-1952 at Kaveri Peetham

      Books:

o  Enlightenment without God

o  The science of Breath: A practical guide

o  Living with the Himalayan masters.

      Disciple: Swami Veda Bharati

 

Maharishi Mahesh Yogi

      12 Jan 1918 5 Feb 2008

      Transcendental Meditation (TM)

      Guru Swami Brahmananda Saraswati (Shankaracharya of Jyotirmath)

 

Pandit Shriram Sharma Acharya

      2 Sep 1911 2 June 1990

      Agra

      All world Gayathri Pariwar Foundation, Shantikuj, Haridwar

      Wife Bhagavati Devi Sharma

      Guru Shri Sarveshwaranada

      Nick Name मत्त

      At Shantikunj Brahmavarchas (research institute to research on Science+Spirituality)

 

Modern Yogis

      Swami Vivekananda

o  12 Jan 1863 2 July 1902

o  Guru Ramakrishna Paramahamsa

o  Vedanta Darshan

o  Chicago speech in 1893

o  Books:

  Sangeeta Kalpataru

  Karma Yoga

  Raja Yoga

  Vedanta Philosophy

o  12 Jan National Youth Day

o  Found Ramakrishna Math at Belur, WB on the bank of Hugli River

 

      Shri Auravindo

o  15 Aug 1872 5 Dec 1950

o  Birth - Kolkata

o  Ashram - Pondicherry

o  Integral Yoga

o  According to Aravind, the present man is not in his highest mental capacity. Superhuman must arrive in the future.

o  सामान्य मानसिकता उच्चतर मानसिकता प्रदीप्त मानस संबोधी अधिमानस अतिमानस

o  Follower of Vedanta

o  Books:

  Essays on Geeta

  The Life Divine

  The synthesis of Geeta

  On the Veda

 

      Maharshi Ramana (Venkataraman Iyer)

o  30 Dec 1879 14 April 1950

o  Called शान्त ऋषि

o  Method: Self Enquiry

o  Sri Ramana Ashram, Tiruvannamalai

o  Guru: Arunachala

 

      Swami Dayananda Saraswati

o  12 Feb 1824 30 Oct 1883

o  Founded: Aryasamaj in Bombay

  10 commandments of Aryasamaj

o  Slogan:

  Back to the Vedas

  Swaraj

o  Book:

  Satyartha Prakash

  Rigvedadi Bhashya Bhumika

o  Great personalities who followed his Philosophy:


  Madam Kama

  Swami Shraddhanand

  Shaam Ji Krishna Varma

  Lala Har Dayal

  Ram Prasad Bismil

  Ashfaq Ullah Khan

  Lala Lajpat Rai

  Pt. Lekharam

  Gurudatt Vidyarthi

  Veer Savarkar

  Madan Lal Dhingra

  Mahadev Govind Ranade

  Mahatma Hansraj (DAV Educational Institutions)


 

     Yoga Founder

      Vinyasa T Krishnamacharya

      Agni Yoga Nicholas Roerich

      Integral Yoga Shri Aravind

      Integral Yoga (USA) - Swami Satchidananda

      Kriya Yoga Paramahamsa Yogananda

      Yoga of Synthesis Swami Shivananda

      Satyananda Yoga Satyananda Saraswati

      Transcendental Meditation Mahesh Yogi

      Bikram yoga Bikram Chaudhary

      Siddha Yoga Swami Muktananda

      Sahaja Yoga Nirmal Srivastava

      Art of Living Shri Shri Ravishankar

      Isha Foundation Jaggi Vasudev

      Anand Yoga Swami Kriyanand

      Ashtanga K Pattabhi Jois

      Iyengar Yoga BKS Iyengar

      Power Yoga Berlyn Bender Birch (Female) & Brian Kest (Male)

      Rocket Yoga Larry Schultz (A type of Astanga Style)

      Anusara Yoga John Friend

      Jivanmukti Yoga Sharon Gannon & David Life

      Kundalini Yoga Yogi Bhajan

      Kripalu Yoga Amrit Desai

      ViniYoga TKV Desikachar

      White Lotus Yoga Tracey Rich

 

Definition of Yoga:

      याज्ञवल्क्य स्मृति में

o  संयोगो योग इत्याहुः जीवात्मपरमात्मनोः इत्युक्तः।

      कठोपनिशत् में

o  योगो हि प्रभवाप्ययौ तां योगमिति मन्यन्ते स्थिरामिन्द्रियधारणाम्।

o  यदा पञ्चावतिष्ठन्ते ज्ञानानि मनमा सह। बुद्धिश्च न विचेष्टति तामाहुः परमां गतिम्।।

      मैत्रायणी उपनिषत् में

o  एकत्वं प्राणमनसोः इन्द्रियाणां तथैव च। सर्वभाव परित्यागो योग इत्यभिधीयते।।

      योगशिखोपनिशत् में

o  योऽपानप्राणयोः ऐक्यं सूर्याचन्द्रमसोः जीवात्मपरमात्मनोः स्वरजरेतसोस्तथा ।।

 

      भगवद्गीता में

o  योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय।
सिद्ध्यसिद्ध्योः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते 2-48

o  बुद्धियुक्तो जहातीह उभे सुकृतदुष्कृते
तस्माद्योगाय युज्यस्व योगः कर्मसु कौशलम् ॥ २-५०॥

o  युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु
युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दुःखहा ॥ ६-१७॥

o  दुःख संयोग वियोगो योगः।

      अग्नि पुराण

o  ब्रह्मप्रकाशकं ज्ञानं योगः तत्रैव चित्तिवृत्तिनिरोधश्च जीवब्रह्मात्मनोः परः।

o  आत्ममानस प्रत्यक्षा विशिष्टा या मनोगतिः तस्य ब्रह्मणि संयोगः।

      कूर्म पुराण

o  एकचित्तता योगो वृत्त्यन्तरनिरोधतः।

      लिङ्ग पुराण

o  सर्वार्थविषयप्राप्तिः आत्मनः योग उच्यते।

      स्कन्द पुराण

o  यत्समत्वं द्वयोः जीवात्मपरमात्मनोः।
सा नष्टसर्वसंकल्पः समाधि इत्यभीधीयते।।

o  परमात्मात्मनोः अयं अविभागः परन्तप ।
स एव तु परो योगः समासात् कथितः तव।।

 

      सिन्धु घाटि

o  1921-22

o  हडप्पा और मोहंजोदाडो

o  हरीयाणा, राजस्थान, गुजरात

      योग के आदि प्रवक्ता हिरण्यगर्भ याज्ञवल्क्य

      योगे योगे तवस्तरं वाजे वाजे हवामहे। सखये इन्द्रमूतये।। ऋग्वेद, यजुर्वेद, साम, अथर्व

      यस्मादृते न सिद्ध्यति यज्ञो विपश्चितश्चन। स धीनां योगमन्विति।। ऋग्वेद

      स घा नो योगः आभुवत्.... । ऋग्वेद, साम, अथर्व